महाकुंभ के अमृत स्नान में 5 करोड़ भक्तों के पहुंचने का अनुमान

प्रयागराज – दिव्य और भव्य महाकुंभ का तीसरा बसंत पंचमी का अमृत स्नान अलौकिक और रोचक तरीके से शुरू हुआ। सोमवार की सुबह 4 बजे से अखाड़ों ने संगम स्नान के लिए रवानगी शुरू की। सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने ढोल ताशा के साथ संगम की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में साधु-संत नाचते गाते हुए हर हर महादेव के नारे के साथ अपने कैंप से संगम की ओर पहुंचे, जहां सभी साधु संतों ने हर हर महादेव की गूंज के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
परंपरा अनुसार सभी अखाड़े अपने-अपने क्रम से पवित्र संगम में अमृत स्नान किया। अखाड़ों के सभी पदाधिकारियों, महंत, अध्यक्ष, मण्डलेश्वरों, महामण्डलेश्वरों के रथ, हाथी, घोड़ों, चांदी के हौदों की साज-सज्जा फूल, मालों और तरह-तरह के आभूषणों से सजधजकर तैयार है। महामण्डलेश्वरों के रथों पर भगवान की मूर्तियां, शुभ चिन्हों, पशु-पक्षियों, कलश आदि का अलंकरण किया गया है। नागा और बैरागी संन्यासी मध्य रात्रि से तन पर भस्म रमा कर अखाड़ों की धर्म ध्वजा और ईष्ट देव का पूजन किया। सयम और क्रम के अनुसार सभी अखाड़े अपने ईष्ट देवों की पालकियां लेकर संगम की ओर प्रस्थान करेंगे। उनके साथ मण्डलेश्वरों और महामण्डलेश्वरों के रथ और घोड़ों के साथ उनके भक्तगण भी अमृत स्नान करेंगे।
5 करोड़ भक्तों के पहुंचने का अनुमान
बसंत पंचमी के पर्व पर 5 करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र संगम में स्नान करने का अनुमान है। भीड़ प्रबंधन के लिए प्रशासन योजनाबद्ध तरीके से पूरी मुस्तैदी से मेला क्षेत्र में कार्यरत है। जगह-जगह रूट डायवर्जन और बैरीकेडिंग का प्रयोग किया जा रहा है। आने और जाने के एकल मार्ग की योजना से श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचाया जा रहा है। स्नान कर स्टेशन और बस अड्डों की ओर लौटने के लिए अलग मार्गों का प्रयोग किया जा रहा है। मेला क्षेत्र में वाहन प्रवेश पर्व के दिन पूरी तरह प्रतिबंधित रखा गया है। आकस्मिक आपदा या भगदड़ की स्थिति से निपटने के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था को चाक चौबंद रखा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर एनडीआरफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन की गाड़ियां और एम्बुलेंस तत्काल घटना स्थल तक पहुंच सकें।






