तीन जिलों में केवल एक ही वैध रेतघाट: सारंगढ़-बिलाईगढ़ और सक्ती में किसी भी रेत खदान को अनुमति नहीं, सबकुछ अवैध

जांजगीर चांपा (शक्ति) :- सोचिए कि किसी जिले में रेत भरपूर हो लेकिन वैध रेत खदान एक भी न हो तो क्या हो रहा होगा? ऐसा कहीं और नहीं रायगढ़ के पड़ोसी जिलों सारंगढ़-बिलाईगढ़ और सक्ती में है। दोनों जिलों में एक भी रेत खदान को स्वीकृति नहीं मिली है। इस वजह से खनिज विभाग ने रेत माफिया से सेटिंग कर ली। रायगढ़ जिले में एक ही वैध रेतघाट है जिसके सहारे काम हो रहे हैं। इसके बावजूद अवैध खनन और परिवहन जोरों पर है क्योंकि एक ही खदान से डिमांड पूरी नहीं हो सकती। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले का हाल और भी बुरा है। महानदी में बड़े-बड़े रेतघाट होने के बजाय स्वीकृत एक भी नहीं है।
इनको मंजूरी दिलाने के लिए खनिज विभाग कुछ नहीं करता क्योंकि जितना निजी लाभ अवैध रेत खनन से होता है, उतना वैध खदान से नहीं। पहले बरमकेला, सरिया और सारंगढ़ तहसीलों में रेत खदान स्वीकृत होते थे लेकिन अब कोई भी नहीं। यहां से दिनरात रेत खनन हो रहा है, जिस पर लोकल माफिया का नियंत्रण है। रायगढ़ के एक और पड़ोसी जिले सक्ती में भी ऐसा ही हाल है। यहां भी कोई रेत घाट स्वीकृत नहीं है। सक्ती जिले में भी जितना रेत खनन हो रहा है, वह अवैध तरीके से हो रहा है। जशपुर में केवल दो रेत खदानें स्वीकृत हैं।
पकड़ते हैं एक-दो गाड़ी, दिखावा ज्यादा सारंगढ़-बिलाईगढ़ और सक्ती जिले में रेत माफिया का अपना साम्राज्य चल रहा है। यहां खनिज विभाग कभी-कभी कुछ ट्रैक्टर रेत पकड़ लेता है। जबकि रायपुर से उडऩदस्ता टीम आकर दो सौ ट्रैक्टर रेत पकड़ लेती है। दरअसल खनिज विभाग ने यहां रेत खनन पर सांठगांठ कर रखी है।
संवाददाता _ लोकनाथ साहू / मनमोहन