शिव महापुराण सुनने से सब दुख कट जाते हैं -खिलेंद्र दुबे

रॉकी साहू लवन – समीपस्त ग्राम धाराशिव में चल रहे शिव महापुराण रुद्राभिषेक कथा के 6 वें दिन जलन्धर शिव चरित्र का वर्णन किया गया। कथा व्यास पंडित खिलेंद्र दुबे ने कथा का वर्णन करते हुए बताया की जलंधर को शिवपुत्र और सिंधुपुत्र कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जलंधर की उत्पत्ति शिवजी के क्रोध से हुई थी, इसलिए उन्हें शिवपुत्र जलंधर कहा जाता है. और यह नामकरण भगवान ब्रह्मा द्वारा किया गया है. जलंधर के जन्म को लेकर पौराणिक कथा भी खूब प्रचलित है. वहीं, कई पौराणिक ग्रंथों जैसे पद्म पुराण, शिव पुराण और स्कंद पुराण में भी जलंधर का वर्णन मिलता है. जलंधर को दैत्यराज जलंधर के नाम से भी जाना जाता है ।
जलन्धर का विवाह वृंदा से हुआ । विवाह के पश्चात जलन्धर का अत्याचार बढ़ता गया। उन्होंने देवताओं पर हमला कर लिया।इंद्र पर भी हमला कर दिया।
जलंधर का आतंक बढ़ता ही गया. वह कैलाश पहुंचकर पार्वती जी को अपने अधीन करना चाहता था. इस पर शिवजी क्रोधित हो गए, जिस कारण महादेव और जलंधर के बीच युद्ध भी हुआ. लेकिन, जलंधर की शक्ति के कारण महादेव का हर प्रहार विफल होता गया. जलंधर की हार उसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रता भंग होने के बाद ही निश्चित थी,क्योंकि उसकी पत्नी पतिव्रता थी ।पतिव्रता को भंग करने के लिए भगवान विष्णु जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास पहुंचे. वृंदा को लगा कि ये जलंधर है. वह भगवान विष्णु संग पति जलंधर जैसा व्यवहार करने लगी ,पहचान नही पाई और इस कारण वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग हो गया. पतिव्रता भंग होने पश्चात भगवान महादेव द्वारा जलंधर का वध किया गया. पूरे धाराशिव से कथा श्रवण करने भक्तजन पहुच रहे है। कथा का आयोजन समस्त ग्रामवासियों द्वारा किया गया है।










