दीपावली पर्व पर सुआ नृत्य की परंपरा कायम, घर-घर पहुंच रही बालिकाओं की टोलियां

लवन – दीपावली पर्व के पूर्व सुआ नृत्य की हलचल शुरू हो चुकी है। सुआ नृत्य की प्राचीन परंपरा को आज भी बच्चियों ने जिंदा रखा है। सुबह से देर शाम तक घरों में सुआ नृत्य के लिए बालिकाओं की टोलियां दस्तक दे रही हैं। इससे पर्व की रौनकता बढ़ती जा रही है।
दिवाली पर्व नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ की गलियों और आंगनों में पारंपरिक सुवा नृत्य की झलक देखने को मिलने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों की छोटी बालिकाएं समूह बनाकर ढोलक की थाप पर पारंपरिक गीतों के साथ सुवा नृत्य कर रही हैं। यह नृत्य न केवल लोकसंस्कृति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और खुशहाली का संदेश भी देता है।
लवन क्षेत्र के कई गांवों में शाम होते ही छोटी बच्ची एवं बालिकाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सजधज कर सुवा गीत गाते हुए नाचती दिखाई देती हैं। माना जाता है कि यह नृत्य फसल कटाई के बाद खुशहाली के प्रतीक रूप में किया जाता है और दीपावली तक इसका दौर चलता है।
ग्रामीणों के अनुसार, सुवा नृत्य से गांव में उत्सव जैसा माहौल बन जाता है और लोग आपसी मेलजोल के साथ त्योहार की तैयारी में जुट जाते हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति एक बार फिर अपने रंग में दिखने लगी है।