10 वर्षों के संघर्ष के बाद अनिल बने पुलिस आरक्षक, केटेगरी में हासिल किया चौथा रैंक

डोमार साहू ( गिधपुरी)कड़ी मेहनत, अनुशासन और अटूट संकल्प के बल पर ग्राम मारो सोनिकापार निवासी अनिल जॉन बर्मन ने पुलिस आरक्षक पद पर चयनित होकर अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया है। अनिल जॉन बर्मन, पिता जीवन दास का चयन बिलासपुर जिले से हुआ है। अनुसूचित जाति वर्ग से उन्होंने चौथा स्थान प्राप्त कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
अनिल बर्मन की सफलता लगभग 10 वर्षों के निरंतर संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने बचपन से ही पुलिस में भर्ती होकर समाज सेवा करने का सपना देखा था और उसी लक्ष्य को लेकर निरंतर आगे बढ़ते रहे। अनेक बार कठिन परिस्थितियां सामने आईं, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी मेहनत और आत्मविश्वास को और मजबूत किया।
अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अनिल बर्मन ने अपने माता-पिता को दिया। उन्होंने कहा कि माता-पिता का आशीर्वाद, मार्गदर्शन और त्याग ही उनकी सबसे बड़ी ताकत रहा है। परिवार के सहयोग के बिना यह सफलता संभव नहीं थी। चयन की खबर मिलते ही परिवार और मित्रों में खुशी की लहर दौड़ गई।
अनिल की इस उपलब्धि पर गांव और आसपास के क्षेत्र में भी उत्साह का माहौल देखने को मिला। परिजनों, मित्रों और शुभचिंतकों ने फूल-माला पहनाकर, गुलाल लगाकर और मिठाई खिलाकर उनका सम्मान किया। सभी ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दी।
तैयारी के दिनों को याद करते हुए अनिल ने बताया कि उन्होंने कड़े अनुशासन का पालन किया। प्रतिदिन सुबह उठकर दौड़-भाग और शारीरिक अभ्यास करते थे, जिसका लाभ उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षा में बेहतर अंकों के रूप में मिला। वहीं लिखित परीक्षा की तैयारी के लिए वे रोजाना 10 से 12 घंटे लाइब्रेरी में अध्ययन करते थे। नींद और आराम का त्याग कर उन्होंने अपने लक्ष्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
अनिल बर्मन ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि सपने वो नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते। सफलता किसी एक दिन की मेहनत से नहीं मिलती, बल्कि निरंतर प्रयास, धैर्य और आत्मविश्वास से ही लक्ष्य प्राप्त होता है। अब पुलिस आरक्षक के रूप में चयनित होकर वे ईमानदारी और निष्ठा के साथ समाज की सेवा करना चाहते हैं। अनिल बर्मन आज न केवल अपने परिवार बल्कि क्षेत्र के युवाओं के लिए संघर्ष और सफलता का प्रेरणास्रोत बन गए हैं।







