अभी भी भगवान हर जगह है बुलाने वाले प्रहलाद चाहिए-प्रेमनारायण शर्मा

लवन- नगर के सुनाराम साहू (खुशरू) के घर चल रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के चौथे दिन रविवार को कथा सुनाते हुए कथावाचक डॉ प्रेमनारायण शर्मा देवकर वाले ने कहा कि भागवत कथा में प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है और बताता है कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकता। भयानक राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रहलाद ने अपनी ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी और सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रहलाद द्वारा अपने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया गया। वर्तमान समय में युवा इस रास्ते से भटक रहे हैं। जिन्हें भक्त प्रहलाद के चरित्र का अनुशरण करना चाहिए। पंडित शर्मा ने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता घमंडी और दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करना चाहिए।
प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की भक्ति को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। किंतु राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप प्रहलाद की बात को कभी नहीं माना। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण को नरसिंह अवतार में जन्म लेकर उसका संघार करना पड़ा। भगवान श्री कृष्ण के द्वारा वरदान मांगने पर प्रहलाद द्वारा यह वर मांगा गया कि मुझे जीवन भर केवल आपके भक्ति करने को मिले। उसके बाद प्रहलाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।कथाव्यास शर्मा ने कहा कि भगवान अभी भी हर जगह है कण-कण में है किंतु उन्हें बुलाने वाले प्रहलाद चाहिए।

