गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58 वां ज्ञानपीठ पुरुस्कार दिया जायगा

दिल्ली – गीतकार गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को इस साल ज्ञानपीठ पुरुस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। ज्ञानपीठ चयन समिति द्वारा दोनों ही हस्तियों को इस बार के लिए पुरस्कार के लिए नामित कर दिया गया है। अब एक तरफ गुलजार बॉलीवुड के मशहूर गीतकार हैं तो वहीं जगद्गुरु रामभद्राचार्य चर्चित कथावाचक हैं। देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप रुपये 11 लाख की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा।
कौन है गुलजार :-
गुलजार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा (1934) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं।

इससे पहले, गुलजार को वर्ष 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2004 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
इसके अलावा, वह एक कवि, पटकथा लेखक, फ़ल्मि निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। उनकी रचनायें मुख्यत: हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं। अपनी लम्बी फ़ल्मिी यात्रा के साथ साथ गुलजार अदब के मैदान में नई नई मंजिलें तय करते रहे हैं। नज़्म में इन्होंने एक नई विधा ‘त्रिवेणी’ का आविष्कार किया है जो तीन पंक्तियों की गैर मुकफ़्फ़ा नज़्म होती है। उल्लेखनीय है कि संस्कृत भाषा को दूसरी बार और उर्दू के लिये पांचवीं बार यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।
पीठाधिश्वर रामभद्राचार्य
तुलसीपीठ के पीठाधिश्वर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के निवासी रामभद्राचार्य प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं।

वह चित्रकूट स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषायें बोलते हैं। वह संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है। उनके द्वारा लिखे गये चार महाकाव्य में दो संस्कृत भाषा और दो हिंदी भाषा में लिखे गये हैं। इससे पहले, उन्हें 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।