तापमान बढ़ने से जानवर प्यास से इधर उधर भटक रहे

जांजगीर चांपा :- गर्मी का आगमन हो गया है लगातार वन कटाई आधुनिकीकरण , औद्योगिक कारखाने की प्रदूषण इत्यादि कारणों से आए दिन पृथ्वी का तापमान बढ़ते जा रहा है
इस बीच जलसंकट का होना नदी , तालाब सुखना जायज है पर इस मसलों पर गाय व अन्य बेजुबान जानवर की व्यथा क्या होगी ? जो बोल नहीं सकती और बिना जल ग्रहण किये प्यासी सुखी नदियों से वापस लौट चली आती है,
पूर्व में इस विषय पर कांग्रेस के शासनकाल में एक योजना चलाया गया था जिसमें भी अत्यधिक भ्रष्टाचारिता हुई गौठान के नाम पर अधिकारी से लेकर गांव के सरपंच तक ने अपनी खूब जेब मोटा किया और जमीनी स्तर पर यह योजना धरी की धरी रह गई अब मानवतावश अपने घरों के बाहर गर्मी के वक्त टंकी में जल तो रखना ही चाहिए जिससे बेजुबान जानवर पशु , पंक्षी आसानी से अपनी प्यास बुझा सके।
लेकिन यह राज्यस्तरीय चिंतन का विषय है इस विषय पर राज्य सरकार द्वारा या ग्राम पंचायत स्तर पर बेजुबान पशुओं हेतु छाया युक्त स्थल एवं टंकी में जल प्रबंधन करना चाहिए ग्रामीण अंचलों में अधिक पशुओं की संख्या होती है ग्राम स्तर पर यह पहल अत्यधिक आवश्यक है वर्तमान भाजपा की सरकार को पूर्व की गौठान योजना को पुनः प्रारंभ कर सुचारू रूप से ज़मीनी स्तर पर बडे पैमाने पर क्रियान्वन करना चाहिए।
संवाददाता – लोकनाथ साहू / मनमोहन








