800 साल पुराना दंतेश्वरी मंदिर ? क्यों पड़ा दंतेश्वरी नाम

जगदलपुर – CG में सबसे प्रशिद्ध (बस्तर )चैत्र नवरात्रि के मौके पर इस वर्ष 5 हजार से ज्यादा मनोकामना दीप श्रद्धालुओं के द्वारा जलाया गया है, इसके अलावा बस्तर जिले के जगदलपुर शहर में स्थित दंतेश्वरी मंदिर में भी तड़के सुबह से ही श्रद्धालुओं की दर्शन के लिए लाइन लगी हुई है, दंतेश्वरी माता को बस्तर की आराध्य देवी कहा जाता है यही वजह है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान सिर्फ बस्तर संभाग से नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य तेलंगाना, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
ऐसे पड़ा दंतेश्वरी नाम
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में राजा दक्ष ने यज्ञ कराया था। लेकिन उन्होंने भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया। इस बात से मां सती काफी क्रोधित हुए कि उनके पति का मान-सम्मान नहीं किया गया। ऐसे में वह अपने पिता के घर पहुंच गई। जहां पर उन्होंने अपने पिता से शिकायत की। लेकिन राजा दक्ष ने शंकर जी का काफी अपमान किया। इस बात से क्षुब्ध होकर मां सती ने यज्ञ में अपनी ही आहुति दे दी। जब भगवान को इस बात का पता चला, तो वह अपनी पत्नी को बचाने गए। लेकिन उनकी ऐसी हालात देखकर काफी क्रोधित हो गए है और क्रोध में राजा दक्ष का गला काट दिया। इसके साथ ही मां सती के शरीर को लेकर हर जगह घूमने लगें। उनका इस तरह क्रोध करना देवताओं ने लेकर आम लोगों के लिए कष्ट का कारण बन रहा था। तब भगवान कृष्ण ने अपने चक्र से मां सती के टुकड़े किए। जहां-जहां पर ये टुकड़े गए, वो जगह शक्तिपीठ कहलाई। शास्त्रों के अनुसार, माना जाता है कि मां सती के इस जगह पर दांत गिरे थे। इसी के कारण इस मंदिर को दंतेश्वरी मंदिर कहते हैं और मां के इस स्वरूप को दंतेश्वरी माई के नाम से जानते हैं। माना जाता है कि नदी किनारे आठ भैरव भाइयों का आवास था। इसी कारण ये स्थल तांत्रिक साधनाओं की स्थली है।










