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बाल विकास से ही राष्ट्र की उन्नति संभव गिर्जेश प्रताप सिंह

विजय सेन लाहोद.राकेश बिहारी घोरे प्रधान जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार विश्व बाल श्रमिक निषेध दिवस पर विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन ग्राम पंचायत बिनौरी में किया गया।

उक्त साक्षरता शिविर में ग्रीजेश प्रताप सिंह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार द्वारा ग्रामीणो को बताये बच्चे किसी भी राष्ट्र के भावी निर्माता होते हैं। इस भावी पीढी के सर्वागीण विकास की जिम्मेवारी राष्ट्र के साथ-साथ हम सब की है। बच्चों को बाल श्रम जैसे शिकजे से उन्मुक्त कर शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाने से ही इनका भविष्य उज्जवल हो सकता है।
दुनिया भर में बाल श्रम की बुराई व्यापक रूप से घर कर चुकी है। इसके पीछे, गरीबी निरक्षरता, कानून में ढील व सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक कारण है। केवल सुदृढ़ आर्थिक स्थिति से ही विश्व का कोई भी देश बाल श्रम की समस्या को समाप्त करने में सफल नहीं हो सकता। बाल श्रम की बुराई को सामाजिक दृष्टिकोण और राजनीतिक संवेदनशीलता से ही दूर किया जा सकता है।

हमारे आसपास ही काम करते है बालक/बालिकाए जिन्हे पहचानना जरूरी :-
सामान्यतः जब भी हम बाल श्रम शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग में ढाबे पर काम कर रहे, साइकिल का पंचर बना रहे या सड़कों पर गुब्बारे आदि बेच रहे बच्चों की छवि उभर कर सामने आती है, लेकिन हम आपको बता दें कि बाल श्रम भी कई तरह का होता है। जैसे-बाल मजदूर वे बच्चे जो कारखानों, कार्यशालाओ, प्रत्तिष्ठानों, खानों और घरेलू श्रम जैसे सेवा क्षेत्र में मजदूरी या बिना मजदूरी के काम कर रहे हैं। गली मोहल्ले के बच्चे इसके अंतर्गत कूड़ा बीनने वाले, अखबार और फेरी लगाने वाले और भीख माँगने वाले बच्चे आते है। बधुआ बच्चे इस श्रेणी में चे बच्चे आते हैं जिन्हें या तो उनके माता-पिता ने पैसों की खातिर या जो कर्ज चुकाने के चलते मजबूरन काम कर रहे है।

बाल मजदूरी देश के प्रगति में बाधक, सुरक्षित बचपन से ही सशक्त भारत का निर्माण संभव
बाल मजदूरी देश की प्रगति में एक बाधा है इसलिये देश को आर्थिक समृद्धि की पटरी पर तेजी से दौड़ाने के लिये बाल मजदूरी को पूरी तरह से समाप्त करना होगा। आखिर बच्चे ही तो देश का भविष्य हैं। बच्चों के विकास के बगैर किसी भी देश का दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास नहीं हो सकता। सुरक्षित बचपन से ही सशक्त भारत का निर्माण संभव है। इसके अलावा बचपन बचाओ आंदोलन, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउडेशन, चाइल्ड फंड, तलाश एसोसिएशन जैसे कई संगठन बच्चों को इस जाल से निकालने का काम कर रहे हैं लेकिन यह कार्य पूरी तरह से सार्थक तभी होगा जब हमारे समाज का प्रत्येक व्यक्ति व्यक्तिगत स्तर पर बाल श्रम को रोकने का प्रयास करेगा।
उक्त शिवीर ओंगनबाडी, मितानीन कार्यकर्ता के साथ पैरालीगल वालिटियर्स दुर्गेश चर्मा, सुखदेव सेन, लाखन बजारे उपस्थित रहे।

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