सूअर बेच कर लड़ रहा है लोकसभा चुनाव जानिए कौन है ये प्रत्याशी

जांजगीर चांपा .जांजगीर चांपा जिला में लोकसभा 2024 के लिए नामांकन भरने का सिलसिला चल रहा है. प्रमुख राजनितिक पार्टियों के प्रत्याशी नामांकन फार्म की खरीदीने पहुंच रहे हैं वही नामांकन फार्म भरने वालों में बहुत से अमीर प्रत्याशी है तो कुछ मध्यम परिवार से है लेकिन इस सब के बीच एक प्रत्याशी है जो भूमिहीन है लेकिन लोकसभा चुनाव में दावेदारी कर रहा है इस प्रत्याशी की खास बात यह है कि चुनाव लड़ने के लिए अपने पालतू सूअर प्रजाति के पशु को बेच कर चुनावी खर्च वहन कर रहा है
आइए जानते हैं इस प्रत्याशी के बारे में
इसका नाम है मयाराम नट, जांजगीर चांपा जिले के महंत गांव में रहने वाला मयाराम नट घूमतु समाज से है और इनकी पीढ़ी बॉस के डांग में करतब दिखाने का काम करते है , जिन्हें नट या डंगचगहा भी कहते है मया राम नट को करतब के लिए तो पहचाना ही जाता है इसके साथ चुनाव लड़ने के जुनून के लिए भी पहचाना जाता है.
2001 से शुरू हुआ चुनाव लड़ने का सिलसिला
मया राम नट ने इस बार पामगढ़ विधानसभा एससी रिजर्व सीट से अपना नामांकन भरा है. मया राम ने बताया कि उन्होंने 2001 में पंचायत चुनाव लड़ कर पंच बने और जिला पंचायत सदस्य के पद से चुनाव लड़ना शुरू किया. क्षेत्र क्रमांक 2 से चुनावी मैदान में उतर कर कमला देवी पाटले का प्रतिद्वंदी रहे और अब कमला देवी पाटले दो बार सांसद बन गई. मया राम चुनाव ही लड़ रहा है, उन्होंने कहा 2004 से हर विधानसभा, लोकसभा और जिला पंचायत के साथ जनपद का चुनाव लड़ते आ रहे है, एक बार अपनी बहु को भी जनपद पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल हुई.
मया राम भूमिहीन है एक मात्र व्यवसाय सूअर पालन है
मया राम नट ने बताया कि कच्चा मकान में रहते है और उनके पास पैसा नहीं है और कोई पुस्तैनी संपत्ति भी नहीं है, फिर भी वह लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचने की उम्मीद में चुनावी मैदान में कूद जाते है, उनके सामने प्रत्याशी कोई रहे कितना भी खर्च करें मया राम गांव-गांव जाकर लोगों को डंगचगहा करतब दिखा कर अपना प्राचार भी करते है और लोगों से करतब दिखाने का इनाम भी लेते हैं.
हर चुनाव में बेचते हैं सूअर
मया राम नट ने बताया कि चुनाव के नामांकन फार्म खरीदी के लिए उन्होंने व्यवसाय के लिए पाले सूअर को बेचते है और उनसे मिले राशि का नामांकन फार्म ख़रीदा और जमा किया, मया राम के अनुसार उसके पास 100 से अधिक छोटे बड़े सूअर है, जिसमे बड़े की क़ीमत 10 हजार रूपये तक मिल जाती है और छोटे का 3 से 5 हजार रूपये में बिक्री हो जाती है,यही इसकी सम्पत्ति है, जिसको सुख, दुख और चुनाव में बेच कर अपना काम चलता है.
बेटा शिक्षक और बहु को जनपद सदस्य बनाया
मया राम नट घूमन्तु समाज से है, जिसके कारण इनके समाज के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र ही नहीं बनता था, समाज के बच्चे स्कूल का द्वार भी नहीं देख पाते थे, इसके बाद भी मयाराम नट ने अपने बेटे को पढ़ाने की ठान ली और अब बेटा शिक्षक बन गया है, इसके अलावा मयाराम अपने बहु को भी चुनाव में उतार कर जनपद सदस्य बनाया और खुद भी लोकसभा एवं विधानसभा में पहुंचने की चाहत रखते है मयाराम कहते है सिर्फ दिखावे या कोई प्राचार पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ते उनका कहना है की पिछड़े वर्ग की सेवा करना ही उनका सपना है
संवाददाता _ लोकनाथ साहू / मनमोहन