एक सप्ताह में कीजिए गुजरात दर्शन 2 ज्योतिर्लिंग व 1 धाम

यदि आप गुजरात घूमने का प्लान बना रहे हैं तो अहमदाबाद सोमनाथ मंदिर द्वारकाधीश भेड़ द्वारिका नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्टैचू ऑफ यूनिटी जैसे जगह का दर्शन एक साथ 7 दिनों में कर सकते हैं ।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़ी कुछ अद्भुत बातें
इस मंदिर के दक्षिण दिशा में समुद्र के किनारे बेहद आकर्षक खंभे बने हुए हैं. जिन्हें बाण स्तंभ कहा जाता है, जिसके ऊपर एक तीर रखकर यह प्रदर्शित किया गया है कि, सोमनाथ मंदिरऔर दक्षिण ध्रुव के बीच में भूमि का कोई भी हिस्सा मौजूद नहीं है. प्राचीन भारतीय ज्ञान का यह अद्भुत साक्ष्य है. माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपना शरीर इसी स्थान पर छोड़ा था.
गुजरात का सोमनाथ एक बेहद ही पवित्र तीर्थ स्थल है। त्रिवेणी संगम यानी कपिला, हिरण और सरस्वती का संगम होने के कारण लोग सोमनाथ आना काफी पसंद करते हैं। यह जगह इसलिए भी विशेष है, क्योंकि यहां पर भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग यहीं है। शिव भक्तों के लिए यह स्थान बेहद ही पवित्र है। बता दें कि सोमनाथ का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई लगभग 155 फीट है. मंदिर के ऊपर एक कलश स्थापित है, जिसका वजन करीब 10 टन है. मंदिर में लहरा रहे ध्वज की ऊंचाई 27 फीट है. इसे साथ ही मंदिर को तीन भागों में विभाजित किया गया है. मंदिर के केंद्रीय हॉल को अष्टकोणीय शिव-यंत्र का आकार दिया गया है. आपको बता दें कि सोमनाथ मंदिर पर कुल 17 बार आक्रमण हुए और हर बार मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया है.
द्वारकापूरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग




12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी आप दर्शन कर सकते हैं।
द्वारका से नागेश्वर की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है। आप द्वारका से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए टैक्सी, बस, या खुद की गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप द्वारका से नागेश्वर के लिए स्थानीय यात्रा सेवाएं का इस्तेमाल कर सकते हैं जो इस सफर को सुगम बना सकती हैं।
द्वारकाधीश मंदिर : भारत के चार धाम में से एक धाम के दर्शन भी आप कर सकते हैं
यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और यह द्वारका का मुख्य धार्मिक स्थल है। मंदिर का स्थान भगवान कृष्ण के अंतिम धार्मिक नगर के रूप में दर्शन कर सकते है।
भेंट द्वारिका
बेट द्वारिका को भेंट द्वारिका भी कहा जाता हैं। यह वही स्थान है जहां सुदामा और कृष्ण की भेंट हुई थी इसके लिए समुद्र में बोट से 2 किलोमीटर जाना होता है।










