ढाई महीने बाद भी नहीं हुआ धान का उठाव, खराब हो रहा धान, समितियों को होगा भारी नुकसान

हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासन सुस्त
हाइकोर्ट ने 30 दिन में धान का उठाव करने दिया था निर्देश सिर्फ 5 दिन बचे
जिले के सभी समिति प्रभारी परेशान, नुकसान के पैसे भरने पड़ेंगे
घोटिया (पलारी)।
पलारी अंचल समेत पूरे जिले में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। इस दौरान तेज अंधड़ के साथ बारिश हो रही है। यह बारिश धान खरीदी केंद्रों में रखे धान के लिए मुसीबत बनकर बरसी है। वहीं धूप के कारण भी धान सूख रहा है। धान का परिवहन धीमी होने से फड़ प्रभारियो के लिए चिंता का विषय बन गया है। वही समर्थन मूल्य में धान खरीदी बंद हुए करीब ढाई माह बीत गए है, लेकिन अभी तक उपर्जान केन्द्रों में रखा हुआ धान का उठाव नहीं हो सका है। बलौदाबाजार जिले के शाखा पलारी, वटगन, कोदवा, रोहांसी, कोसमंदी के केन्द्रों में पड़ा हुआ धान में सुखत की समस्या के साथ ही साथ चूहों के कुतरने से समिति को बड़ा नुकसान हो रहा है । समितियों का कहना है कि वर्तमान में तेज धूप निकल रहे है, ऐसे में सुखत की समस्या बढ़ गई है। धान का रखरखाव के लिए समिति प्रबंधक परेशान व चितिंत नजर आ रहे है। उनका कहना है कि 43 डिग्री के तापमान में प्रति बोरा 2 से 3 किलों धान की शार्टेज आने लगेगी, जिससे समिति को लाखो रूपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।
हाईकोर्ट में 100 से अधिक याचिकाएं दायर
बलौदाबाजार, भवानीपुर, रोहांसी, छेरकापुर, वटगन सहित प्रदेश भर के विभिन्न धान खरीदी केंद्रों के प्रबंधकों ने 100 से अधिक याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की हैं। इनमें से 25 याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया है कि धान खरीदी नीति में स्पष्ट है कि 28 फरवरी 2024 तक धान खरीदी केंद्रों से पूरा धान जिला विपणन अधिकारी और मार्कफेड उठा लेंगे। नीति के तहत धान का उठाव नहीं होने के बाद 30 दिन के भीतर पूरे राज्य के धान का उठाव करने हाइकोर्ट ने मार्कफेड के अधिकारियों को निर्देशित किया है।

केन्द्रों में सुविधाएं नहीं, धूप और बारिश में तिरपाल भी खराब, सड़ने लगे धान
दरअसल किसानों से खरीदे गए धान को रखने के लिए सभी धान खरीदी केंद्रों में न तो सीमेंट के चबूतरे बन पाए हैं और न ही मौसम खराब होने पर बचाव के लिए शेड का निर्माण हो पाया है। यहां तक कि भंडारण के लिए गोदाम भी नहीं हैं। इतना ही नहीं लागत कम करने के लिए पिछले दो सालों से सरकार ने धान खरीदी के बाद सीधे केंद्रों से ही राइस मिल संचालकों के लिए डीओ काटने की व्यवस्था कर दिया। इससे बचा हुआ धान अब धान खरीदी केंद्रों में ही रखना होता है। संग्रहण केंद्रों की व्यवस्था भी खत्म कर दी गई है। इससे खरीदी केंद्रों में धान का उचित प्रबंधन नहीं होने और धान को ढंकने के लिए तिरपाल और प्लास्टिक की व्यवस्था नहीं होने से धान धूप, बारिश के दौरान खुले में पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं तेज हवा में तिरपाल और तेज धूप से प्लास्टिक के बारदाने खराब हो कर धान को सड़ा रहे हैं। वहीं खुले में पड़े धान को चूहे, दीमक और कीड़े मकोड़े अलग चट कर रहे हैं।