लाहोद

हिंदी दिवस पर श्री कौशिक मुनि त्रिपाठी को मिला हिंदी काव्य रत्न सम्मान

विजय सेन लाहोद.जिले के प्रसिद्ध कवि तथा लेखक का नेपाल की संस्था शब्द प्रतिभा द्वारा सम्मान किया गया है। एक अंतरराष्ट्रिय स्तर के कार्यक्रम में बलौदाबाजार जिले की शान कौशिक मुनि त्रिपाठी को सम्मानित किया गया है। नेपाल की प्रसिद्ध संस्था शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से आज सम्मानित किया गया है।
आज हिंदी दिवस के मौके पर शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा आयोजित किए गए हिंदी दिवस अंतरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता में बहुमुखी प्रतिभा के धनी शिक्षक तथा युवा साहित्यकार कौशिक मुनि त्रिपाठी को ” हिंदी काव्य रत्न ” मानद उपाधि सम्मान से सम्मानित किया गया है। कौशिक मुनि त्रिपाठी को बलौदाबाजार जिले के ख्याति प्राप्त लेखक हैं जिनकी रचनाएं देश विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है तथा साहित्य के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिए अब तक दर्जनों सम्मान मिल चुके हैं। संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आनन्द गिरि मायालु कहते हैं – कौशिक मुनि त्रिपाठी की रचना जीवंत लगती है बड़े अच्छे शब्दों का चयन किया है कविता में। ऐसे लेखकों से ही असल समाज का निर्माण होता है जो विकास और सकारात्मक परिवर्तन के लिए लिखते हैं। ऐसे विशिष्ट रचनाकारों की पहचान कर राज्य की प्रोत्साहन राशि तथा सम्मान करने की आवश्कता है।
आयोजित किए गए इस प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, अमेरिका, कनाडा तथा तंजानिया से 6742 महिला पुरुष रचनाकारों की सहभागिता थी जिसमें 675 प्रतिभाओं का उत्कृष्ट कविता के आधार पर चयन कर सम्मानित किया गया है। आयोजक संस्था को धन्यवाद देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कौशिक मुनि त्रिपाठी ने कहा – शब्द प्रतिभा वर्षों से देश विदेश के कवि तथा लेखकों को विभिन्न प्रतियोगिता के माध्यम से सम्मान कर प्रोत्साहित करती आई है । निःसंदेह संस्था द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्य से हम जैसे हजारों शिक्षकों तथा लेखकों को प्रोत्साहन मिला है। संस्था की सचिव चरना कौर कहती हैं – हिंदी आज किसी एक देश की भाषा नहीं बल्कि विश्व भाषा बन चुकी है। सभी के अपनी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। इस प्रतियोगिता में हजारों शिक्षकों तथा लेखकों ने देश विदेश में प्रतिभागिता की जो संस्था के लिए गर्व का विषय है।

कौशिक मुनि त्रिपाठी पिछले 17 वर्षों से शिक्षकीय कार्य से जुड़े हुए
हैं। वर्तमान में स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, लाहौद, बलौदाबाजार छत्तीसगढ़ में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं। कौशिक मुनि त्रिपाठी शिक्षक के साथ-साथ लेखक व कवि भी हैं। अभी तक इनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ‘अनंत की ओर’ व ‘ मन के धागे’। इनके मार्गदर्शन में विज्ञान के क्षेत्र में कई विद्यार्थी नेशनल स्तर तक पहुंच चुके हैं। इन्होंने खुद कई बार विज्ञान संगोष्ठी में भाग लेकर पूरे राज्य का नाम रोशन किया। कोरोना महामारी में शिक्षा के क्षेत्र में इनका अप्रतिम योगदान रहा। अच्छे कार्य करने वाले शिक्षकों का आर्टिकल लिखने में भी एक लेखक के रूप में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इनके इस कार्य के लिए शिक्षा विभाग द्वारा भी प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया ।
कौशिक मुनि त्रिपाठी हमेशा लेखन के क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं और इनकी रचनाएं पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित होती रहती हैं। इस अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कौशिक मुनि त्रिपाठी द्वारा भेजी गई कविता का शीर्षक था ये धरती मांगे खून नहीं । इस कविता के माध्यम से उन्होंने मजदूरों की मेहनत और लगन का गुणगान किया है । उनकी इस कविता को उत्कृष्ट कविता के रूप में चुना गया है।

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