शासकीय नवीन प्राथमिक शाला चरौदा दलदल और जर्जर भवन में संचालित, बारिश में कीचड़ और पानी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

( डोमार साहू गिधपुरी ) शासकीय नवीन प्राथमिक शाला चरौदा इन दिनों बेहद दयनीय और संकटग्रस्त हालात में संचालित हो रही है। स्कूल का वर्तमान भवन जर्जर स्थिति में है और आसपास का परिसर दलदल में तब्दील हो चुका है। बारिश के दिनों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। स्कूल के अहाते में कीचड़, पानी भराव, आवारा पशुओं की आवाजाही, और खुले क्षेत्र में जहरीले जीव-जंतुओं की संभावित मौजूदगी ने बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों को खतरे में डाल दिया है।
विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों को रोज़ाना विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। भवन की दीवारें जर्जर हैं, छत से पानी टपकता है और कई जगहों पर दरारें पड़ चुकी हैं। स्कूल परिसर में समतलीकरण न होने के कारण हल्की सी बारिश में ही पानी भर जाता है, जिससे दलदल जैसी स्थिति बन जाती है। स्कूल में नाली निर्माण नहीं होने से गंदा पानी लंबे समय तक जमा रहता है, जिससे मच्छर पनपते हैं और मौसमी बीमारियों का खतरा बना रहता है।
जनप्रतिनिधियों ने जताई चिंता, कई बार शासन को अवगत कराने के बावजूद नहीं हुआ कोई हल
इस गंभीर समस्या को लेकर ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि – जनपद सभापति श्रीमती नीलिमा चरण कोशले, सरपंच श्रीमती लाकेश्वरी लोकनाथ जायसवाल, ग्राम पटेल बृजलाल साहू, एवं समाजसेवी विजय ध्रुव सहित समस्त ग्रामवासियों ने कई बार संबंधित विभागों और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर स्कूल भवन निर्माण, अहाता निर्माण, परिसर समतलीकरण और नाली निर्माण की मांग की है। परंतु बार-बार प्रयासों के बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से आज दिनांक तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
ग्रामवासियों का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में विकास की बात करना तब तक निरर्थक है जब तक बच्चों को सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में पढ़ाई करने की सुविधा उपलब्ध न हो। ग्रामीणों ने चेताया है कि यदि शीघ्र ही इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
ग्रामवासियों की मांग – जल्द बने नया भवन और हो मूलभूत सुविधाओं का विकास
ग्राम चरौदा के नागरिकों की एकमात्र मांग है कि शासकीय नवीन प्राथमिक शाला के लिए जल्द से जल्द नया पक्का भवन बनाया जाए। साथ ही विद्यालय परिसर का समतलीकरण, अहाता निर्माण, उचित जल निकासी (नाली निर्माण) और चारदीवारी की व्यवस्था की जाए ताकि बच्चों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और सकारात्मक वातावरण में शिक्षा प्राप्त हो सके।