संघर्ष और मेहनत ने दिलाई मनीष को वर्दी, सामान्य वर्ग से 18वीं रैंक पाकर आरक्षक पद पर हुआ चयन

डोमार साहू ( गिधपुरी)सपने अगर सच्चे हों और इरादे मजबूत, तो हालात कितने ही कठिन क्यों न हों सफलता जरूर कदम चूमती है। गांव सोनपुर (भाकुरकापा) निवासी मनीष तिवारी ने इसे सच कर दिखाया है। पिता अश्वनी तिवारी और माता संतोषी तिवारी के आशीर्वाद से मनीष ने सामान्य वर्ग में 18वीं रैंक हासिल कर पुलिस आरक्षक पद पर चयनित होकर परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय उन्होंने माता-पिता को दिया है।
मनीष बताते हैं कि बचपन से ही पुलिस में जाने का सपना था। घर की कमजोर आर्थिक स्थिति ने उन्हें सरकारी नौकरी की ओर और मजबूती से बढ़ाया। हालांकि यह सफर आसान नहीं था। भर्ती की कोई उम्मीद नहीं दिखती थी, फिर भी उन्होंने 11 वर्षों तक निरंतर प्रयास और इंतजार नहीं छोड़ा। तैयारी के दौरान मनीष को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। गांव के लोगों के ताने, मजाक और रिश्तेदारों की उपेक्षा ने मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की, लेकिन यही बातें उनकी ताकत बन गईं। शारीरिक दक्षता के लिए उन्होंने ठंड, बरसात और भीषण गर्मी में रोज सुबह-शाम कड़ी मेहनत की। वहीं लिखित परीक्षा की तैयारी के लिए 11 से 13 घंटे प्रतिदिन लाइब्रेरी में अध्ययन किया।
काम करते हुए साथ में तैयारी भी की
आर्थिक हालात इतने खराब थे कि उन्होंने तैयारी के साथ-साथ चौकीदारी, डेयरी में काम, बैंक में अस्थायी कार्य, चाय बेचना और पेपर बांटना जैसे छोटे-बड़े काम किए, लेकिन कभी हार नहीं मानी। सफलता मिलने के बाद मनीष तिवारी का कहना है कि वे देश की सेवा और गौरव के लिए खुद को समर्पित करना चाहते हैं। जीव-जंतु, पशु-पक्षियों के प्रति उनका विशेष प्रेम उनकी पहचान है।मनीष अपनी सफलता ने युवाओं से कहा कि रख हौसला वो मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा। यूं थककर न बैठ मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा।







